आरोपी बरी, जज बोले- जांच अधिकारी ने दोषियों को बचाकर निर्दोष को फंसाया, इसलिए बरी करना पड़ा

खिंवाड़ा थाना क्षेत्र में 6 साल की मासूम से सामूहिक दुष्कर्म व जान से मारने का प्रयास करने के एक आरोपी को पॉक्सो कोर्ट ने शुक्रवार को संदेह के लाभ देते हुए बरी कर दिया। पाॅक्सो एक्ट कोर्ट संख्या 3 के विशेष न्यायाधीश बरकत अली ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी दरगाराम निवासी अणेवा और उसके साथियों ने मासूम से सामूहिक दुष्कर्म किया, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।


जज ने कहा- बाली वृत्त के तत्कालीन डीएसपी व जांच अधिकारी गुलाबसिंह के दोषपूर्ण अनुसंधान के कारण और दोषियों को बचाने की मंशा से निर्दोष को फंसा दिया गया। इसके चलते मासूम से दरिंदगी करने वाले सजा से बच गए हैं, जबकि जांच अधिकारी ने जिस निर्दोष को मुल्जिम बनाया, उसे दोषमुक्त किया जाता है। जज अली डीजीपी को मामले में दोषपूर्ण अनुसंधान करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर कोर्ट अवगत कराने के आदेश भी दिए हैं। पीड़ित पक्ष की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक खीमाराम पटेल व कानाराम सोलंकी ने पैरवी की, जबकि दोषमुक्त किए गए आरोपी की ओर से एडवोकेट कमलेश देवरा ने पैरवी की।


बच्ची को स्कूल से अगवा कर की गई थी ज्यादती


अभियोजन के अनुसार खिंवाड़ा थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति ने थाने में रिपोर्ट देकर बताया कि उसकी छह साल की भतीजी पास के सरकारी स्कूल में पढ़ती है। 23 मार्च, 2017 को वह स्कूल गई थी। इसी बीच आरोपी दरगाराम समेत अन्य लोग उससे 20 रुपए का लालच देकर स्कूल से अगवाकर सुनसान जगह पर ले गए और दुष्कर्म किया। यही नहीं आरोपियों ने गुनाह छिपाने के लिए बच्ची को मारने का प्रयास किया और बाद में उसे मरी हुई समझ छोड़कर भाग गए। बाद में परिजनों ने बच्ची को अस्पताल पहुंचाया, जहां से पाली व जोधपुर रेफर किया गया। पुलिस ने 25 मार्च को इस संबंध में मामला दर्ज किया और 31 मार्च को आरोपी दरगाराम को गिरफ्तार किया, जबकि मौके से पकड़े गए आरोपी दिनेश व नगाराम को छोड़ दिया।


जांच में ये कमियां, जिससे आरोपी को बरी किया गया



  • 1. घटना वाले दिन आरोपी दिनेश व नगाराम की मौजूदगी घटनास्थल पर साबित हुई थी। पुलिस ने घटना वाले दिन ही दोनों को थाने लाई, लेकिन बिना जांच किए और बिना आधार के दाेनाें काे छोड़ दिया गया। वहीं, दरगाराम को गलत रूप से मुल्जिम बना दिया।

  • 2. प्रकरण दर्ज होने से पहले ही पीड़िता की चोटों का मेडिकल मुआयना कराया, लेकिन उसके साथ दुष्कर्म हुआ या नहीं यानी यौन शोषण के बाबत कोई मेडिकल नहीं कराया।

  • 3. आरोपी दरगाराम की गिरफ्तारी 31 मार्च 2017 को दोपहर 3:05 बजे दर्शाई गई, जबकि इससे पहले दोपहर 2:40 बजे ही उसकी अंडरवियर बरामद कर जब्त की गई। यानी आरोपी की गिरफ्तारी से पहले ही उसकी अंडरवियर जब्त कर दी, जो केस में विरोधाभास पैदा करता है।

  • 4. जांच अधिकारी ने जांच में लापरवाही पूर्वक बयान लिए और दूषित जांच की। इस कारण ही यह मामला कोर्ट में अभियोजन के दौरान विफल हुआ।


जज ने जांच अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा


पाॅक्साे एक्ट कोर्ट संख्या 3 पाली के विशेष जज बरकत अली ने कहा- बाली वृत्त के तत्कालीन डीएसपी गुलाबसिंह ने घटना वाले दिन दिनेश व नगाराम नाम के आरोपी को पकड़ा, लेकिन बाद में उन्हें बिना किसी आधार के छोड़ दिया, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि उन दोनों ने मासूम बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म किया हो और इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। आरोपी दरगाराम को उक्त प्रकरण में गलत रूप से फंसाया गया, जिसकी संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जांच अधिकारी ने दोषपूर्ण अनुसंधान किया, जिसके कारण दोषी तो सजा से बच गए और निर्दोष को जेल में रहना पड़ा। राज्य के पुलिस महानिदेशक ऐसे दोषपूर्ण अनुसंधान करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर कोर्ट को अवगत कराए।


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