पंचायत चुनावों को लेकर निर्वाचन विभाग के आदेश से सरपंच पद के प्रत्याशियों की नींद उड़ गई है। जिले की 626 में से 527 पंचायतों में फिलहाल चुनाव नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट में 24 फरवरी को सुनवाई होगी, उसके बाद ही तय होगा कि चुनाव प्रक्रिया किस तरह आगे बढ़ेगी। या फिर कोई सुनवाई की डेट मिलेगी। गुरुवार को आए चुनावी रोक के आदेश से सरपंच बनने की तैयारियों में जुटे प्रत्याशियों में निराशा छा गई है। खासकर पहले व दूसरे चरण की पंचायतों में। पहले चरण के तो नामांकन की प्रक्रिया भी पूरी हो गई थी। अब वहां के सरपंच पद प्रत्याशी पसोपेश में है। नामांकन भर चुके दावेदारों को चुनाव में देरी से समीकरण बिगड़ने का डर घर कर गया है। इन्होंने फार्म भरने की तारीख नजदीक आते ही रसोड़े शुरू कर दिए थे। अब चुनाव आगे खिसक गए हैं। प्रत्याशी असमंजस में है। रसोड़े बंद किए तो वोट खिसक सकते हैं और जारी रखा तो रोजाना लाखों का खर्चा आएगा। इसके चलते नई तारीख की घोषणा होने तक उन पर अच्छा खासा कर्जा चढ़ जाएगा।
चुनाव कब होंगे, किसी को पता नहीं
सर्दी के मौसम में रसोड़े में सबसे ज्यादा गाजर, दाल, सूजी और गूंद पाक जैसे हलवा समर्थकों की पसंद है। सब्जी में हल्दी की सब्जी। चोरी छिपे नशे की मनुहार भी हो रही है। हालांकि पुलिस ने कई बार डोडा पोस्त की खेप पकड़ी है। सरपंचों की गोठ का आनंद लेने के लिए दूसरे प्रदेशों में मजदूरी के लिए गए युवा भी गांव लौट आए हैं। फलोदी, लोहावट, चामू, आऊ, देचू व सेखाला क्षेत्र चुनाव प्रथम चरण में 17 जनवरी को होने थे। नामांकन वापसी से इसमें एक सप्ताह का समय था। तब तक वे जैसे-तैसे रसोड़ा चला लेते लेकिन अब न उगलते बन रहे हैं और न निगलते। वहीं, ग्रामीण भी सर्दी के मौसम में सुबह शाम ‘गोठ’ का आनंद लेने से पीछे नहीं है।
सुनवाई की तारीख भी अगले महीने, प्रत्याशी और समर्थकों में बेचैनी घर की
फलोदी, लोहावट, चामू, आऊ, देचू, बालेसर व सेखाला पंचायत समिति में 17 जनवरी को वोटिंग होनी थी। लेकिन चुनाव आयोग ने शुक्रवार आदेश जारी कर बालेसर के अलावा सब जगह 17 तारीख को होने वाले चुनाव को आगामी आदेश तक रद्द कर दिए। चार चरणों में अब जिले की 626 पंचायतों में से सिर्फ बालेसर, शेरगढ़ व बिलाड़ा की 99 पंचायतों में ही चुनाव करवाए जाएंगे। बाकी जिले की 17 पंचायत समिति क्षेत्र में चुनाव सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर ही तय होगा। इसकी अगली सुनवाई भी 24 फरवरी को है। ऐसे में चुनाव की नई तारीख कौनसी होगी और कब पता चलेगा, कोई नहीं बता सकता।
एक-एक वोट के लिए गाड़ी व सुविधाएं दे रहे, अब सवाल कब तक का
फिलहाल प्रत्याशी को अपने समर्थकों को सुबह शाम गाड़ियां भेज कर पहले कैंप में लाना और वापस घर छोड़ना पड़ रहा है। इसके अलावा अगर किसी और जगह भी समर्थकों को जाना हो तो गाड़ी ही लेकर जाते हैं ताकि भाड़ा किराया न लगे। इन दिनों हर व्यक्ति अपने पसंद के प्रत्याशी के यहां सुबह शाम जा रहा है। इसके अलावा अगर किसी के छोटा मोटा बुखार भी आ जाए तो प्रत्याशी को ही गाड़ी भेज कर समर्थक का उपचार करवाना पड़ रहा है। समर्थक भी पांच वर्ष में एक बार आए मौके को छोड़ना नहीं चाहते। जबकि प्रत्याशियों की मजबूरी है कि सामने वाला भी समर्थकों के लिए सब कुछ कर रहा।